Crypto Tax in India 2025 – Complete Guide for Spot & Derivatives Traders

Crypto Tax in India 2025 : भारत में Cryptocurrency Trading और निवेश तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। Bitcoin, इथेरियम, सोलाना जैसे Crypto Tax में निवेश करने वाले लोग न केवल मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि इसके साथ आने वाली जटिल टैक्सेशन प्रणाली को भी समझने की कोशिश कर रहे हैं।

2025 में Crypto Taxation एक ऐसा विषय है, जो हर क्रिप्टो ट्रेडर और निवेशक के लिए बेहद जरूरी है। चाहे आप नौसिखिया हों, अनुभवी ट्रेडर हों, या फिर क्रिप्टो में निवेश शुरू करने की सोच रहे हों, यह ब्लॉग आपके लिए एक संपूर्ण और आसान भाषा में लिखा गया गाइड है। हम इसमें Crypto Taxation की हर बारीकी को कवर करेंगे, ताकि आप अपने टैक्स को समझ सकें, सही तरीके से उसे मैनेज कर सकें और अनावश्यक टैक्स नोटिस या पेनल्टी से बच सकें।

1. Crypto Taxetion का परिचय

भारत में Cryptocurrency को लेकर सरकार ने 2022 में Taxation के लिए स्पष्ट नियम लागू किए थे, जो 2025 में भी लागू हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत सेक्शन 115BBH को पेश किया गया, जो विशेष रूप से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) से होने वाली आय पर Taxation को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस पर 1% टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) भी लागू किया गया है, जो सेक्शन 194S के तहत आता है।

Crypto Taxetion को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि:

  • कानूनी अनुपालन: यदि आप अपनी क्रिप्टो आय को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में नहीं दिखाते, तो आपको भारी पेनल्टी और टैक्स नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
  • जटिल नियम: Crypto Taxetion के नियम स्टॉक मार्केट या अन्य निवेशों से अलग हैं। इसे समझे बिना आप गलतियां कर सकते हैं।
  • मुनाफे को अधिकतम करना: सही टैक्स प्लानिंग से आप अपने मुनाफे को अधिकतम कर सकते हैं और अनावश्यक टैक्स से बच सकते हैं।

2. मिथक और गलतफहमियां

Crypto Taxetion को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह है कि हर क्रिप्टो मुनाफे पर 30% टैक्स लगता है। यह बात आंशिक रूप से सच है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। यह मिथक इसलिए फैला क्योंकि बहुत से लोग Crypto Taxetion के नियमों को पूरी तरह समझते नहीं हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

मिथक: हर क्रिप्टो मुनाफे पर 30% टैक्स

  • वास्तविकता: यह नियम केवल वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) की स्पॉट ट्रेडिंग पर लागू होता है। यदि आप क्रिप्टो डेरिवेटिव्स (फ्यूचर्स और ऑप्शंस) में ट्रेड करते हैं, तो टैक्सेशन का तरीका अलग हो सकता है।
  • निर्भरता: आपका टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के क्रिप्टो एसेट में ट्रेड कर रहे हैं और आपकी ट्रेडिंग गतिविधि का स्वरूप क्या है।

अन्य गलतफहमियां

  • लॉस को सेट ऑफ कर सकते हैं: बहुत से लोग सोचते हैं कि क्रिप्टो में हुए नुकसान को अन्य आय (जैसे सैलरी या बिजनेस इनकम) के खिलाफ सेट ऑफ किया जा सकता है। लेकिन VDA टैक्सेशन में यह संभव नहीं है।
  • सभी खर्चे डिडक्ट कर सकते हैं: स्पॉट ट्रेडिंग में केवल क्रिप्टो की खरीद लागत (कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन) को ही डिडक्ट किया जा सकता है। अन्य खर्चे जैसे इंटरनेट, बिजली, या लैपटॉप की लागत को डिडक्ट करने की अनुमति नहीं है।

3. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) का टैक्सेशन

भारत सरकार ने क्रिप्टो एसेट्स को टैक्सेशन के लिए दो श्रेणियों में बांटा है:

  1. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs): इसमें Bitcoin, इथेरियम, सोलाना, नॉन-फंजिबल टोकन्स (NFTs) जैसे टोकन शामिल हैं।
  2. क्रिप्टो डेरिवेटिव्स: इसमें फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग शामिल है।

VDA टैक्सेशन के नियम

सेक्शन 115BBH के तहत VDA से होने वाली आय पर टैक्सेशन के लिए निम्नलिखित नियम लागू हैं:

  1. 30% फ्लैट टैक्स + 4% सेस:
  • VDA की स्पॉट ट्रेडिंग से होने वाले मुनाफे पर 30% टैक्स लगता है, जिसके ऊपर 4% सेस भी जोड़ा जाता है। इस तरह प्रभावी टैक्स दर 31.2% हो जाती है।
  • यह टैक्स आपकी कुल आय या टैक्स स्लैब से स्वतंत्र है। चाहे आपकी आय ₹5 लाख हो या ₹50 लाख, VDA मुनाफे पर 31.2% टैक्स देना होगा।
  • उदाहरण: मान लीजिए आपने ₹1 लाख में Bitcoin खरीदा और उसे ₹1.5 लाख में बेचा। आपका मुनाफा ₹50,000 हुआ। इस पर 31.2% टैक्स यानी ₹15,600 देना होगा।
  1. 1% TDS (सेक्शन 194S):
  • यदि आपका क्रिप्टो ट्रांजैक्शन ₹50,000 से अधिक है, तो हर ट्रांजैक्शन पर 1% TDS काटा जाता है। यह TDS मुनाफे या नुकसान की परवाह किए बिना लागू होता है।
  • उदाहरण: यदि आपने ₹1.5 लाख के बिटकॉइन बेचे, तो 1% TDS यानी ₹1,500 काटा जाएगा। यह राशि आपके एक्सचेंज द्वारा काटकर सरकार को जमा की जाती है।
  • TDS को आप अपने ITR में क्लेम कर सकते हैं या अपनी टैक्स देनदारी के खिलाफ समायोजित कर सकते हैं।
  1. लॉस को सेट ऑफ नहीं कर सकते:
  • VDA ट्रेडिंग में हुए नुकसान को किसी अन्य आय (जैसे सैलरी, बिजनेस इनकम) के खिलाफ सेट ऑफ करने की अनुमति नहीं है।
  • उदाहरण: यदि आपकी सैलरी ₹10 लाख है और क्रिप्टो ट्रेडिंग में ₹2 लाख का नुकसान हुआ, तो आप इस नुकसान को सैलरी आय से समायोजित नहीं कर सकते। आपको पूरी सैलरी पर टैक्स देना होगा।
  • इसके अलावा, एक क्रिप्टो (जैसे Bitcoin) के मुनाफे को दूसरे क्रिप्टो (जैसे इथेरियम) के नुकसान के साथ सेट ऑफ करने की भी अनुमति नहीं है।
  • नुकसान को अगले सालों में कैरी फॉरवर्ड करने की भी अनुमति नहीं है।
  1. खर्चों का डिडक्शन नहीं:
  • VDA ट्रेडिंग में केवल क्रिप्टो की खरीद लागत (कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन) को ही डिडक्ट किया जा सकता है। अन्य खर्चे जैसे इंटरनेट, बिजली, लैपटॉप, या ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर की लागत को डिडक्ट करने की अनुमति नहीं है।
  • उदाहरण: यदि आपने ₹1 लाख में Bitcoin खरीदा और उसे ₹1.5 लाख में बेचा, तो आप केवल ₹1 लाख की खरीद लागत को डिडक्ट कर सकते हैं। आपके ट्रेडिंग सेटअप (जैसे हाई-स्पीड इंटरनेट या नया लैपटॉप) की लागत को डिडक्ट नहीं किया जा सकता।
  1. 60% टैक्स ऑन अनडिस्क्लोज्ड इनकम:
  • यदि आप अपनी क्रिप्टो आय को ITR में नहीं दिखाते और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसे पकड़ लेता है, तो अनडिस्क्लोज्ड इनकम पर 60% तक टैक्स, साथ ही पेनल्टी और ब्याज देना पड़ सकता है।
  • सुझाव: अपनी क्रिप्टो आय को पारदर्शी रूप से दिखाएं। आजकल AI-आधारित टूल्स के जरिए टैक्स डिपार्टमेंट आसानी से ट्रांजैक्शंस को ट्रैक कर लेता है।

VDA टैक्सेशन की समरी

  • टैक्स दर: 31.2% (30% + 4% सेस)
  • TDS: 1% (₹50,000 से अधिक के ट्रांजैक्शंस पर)
  • लॉस सेट ऑफ: नहीं
  • खर्चे डिडक्ट: केवल कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन
  • अनडिस्क्लोज्ड इनकम: 60% टैक्स + पेनल्टी

4. क्रिप्टो डेरिवेटिव्स का टैक्सेशन

क्रिप्टो डेरिवेटिव्स, यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस, एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जो स्पॉट ट्रेडिंग से अलग है। इसमें आप क्रिप्टो एसेट्स को सीधे खरीदने-बेचने के बजाय उनके प्राइस मूवमेंट्स पर दांव लगाते हैं। भारत में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के लिए डेल्टा एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन टैक्सेशन के मामले में डेरिवेटिव्स का एक ग्रे एरिया है, जिसे समझना जरूरी है।

डेरिवेटिव्स टैक्सेशन के दो दृष्टिकोण

  1. बिजनेस इनकम थ्योरी (लोकप्रिय दृष्टिकोण):
  • बहुत से ट्रेडर्स और विशेषज्ञ मानते हैं कि क्रिप्टो डेरिवेटिव्स से होने वाली आय को VDA इनकम (सेक्शन 115BBH) के बजाय स्पेकुलेटिव बिजनेस इनकम माना जाना चाहिए, जैसा कि भारतीय स्टॉक मार्केट में फ्यूचर्स और ऑप्शंस की आय को माना जाता है।
  • लाभ:
    • टैक्स स्लैब रेट्स: आपकी आय आपके व्यक्तिगत टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होगी। यदि आपकी कुल आय ₹7 लाख से कम है (न्यू टैक्स रिजीम में), तो आपका टैक्स शून्य हो सकता है।
    • लॉस सेट ऑफ: आप एक ट्रेड के नुकसान को दूसरे ट्रेड के मुनाफे के खिलाफ सेट ऑफ कर सकते हैं। बचे हुए नुकसान को अगले 4 साल तक कैरी फॉरवर्ड भी किया जा सकता है।
    • खर्चों का डिडक्शन: ट्रेडिंग से जुड़े खर्चे जैसे इंटरनेट, लैपटॉप का डेप्रिसिएशन, और CA की फीस को डिडक्ट किया जा सकता है।
  • उदाहरण: मान लीजिए आपने डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में ₹1 लाख का मुनाफा कमाया और ₹20,000 का इंटरनेट और लैपटॉप खर्च किया। आप ₹20,000 को डिडक्ट कर सकते हैं, और बाकी ₹80,000 पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
  1. कंजर्वेटिव 30% फ्लैट टैक्स दृष्टिकोण:
  • कुछ विशेषज्ञ और CA मानते हैं कि सेक्शन 115BBH की भाषा बहुत व्यापक है और इसमें VDA से जुड़ी किसी भी प्रकार की आय (चाहे स्पॉट हो या डेरिवेटिव्स) शामिल है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, डेरिवेटिव्स आय पर भी 31.2% टैक्स लगेगा।
  • लाभ: भले ही टैक्स दर 31.2% हो, आप बिजनेस इनकम के तहत खर्चे डिडक्ट कर सकते हैं और नुकसान को सेट ऑफ कर सकते हैं।
  • उदाहरण: यदि आपने डेरिवेटिव्स में ₹1 लाख का मुनाफा कमाया और ₹30,000 का नुकसान हुआ, तो आप ₹30,000 को सेट ऑफ कर सकते हैं। बाकी ₹70,000 पर 31.2% टैक्स देना होगा।

डेरिवेटिव्स टैक्सेशन का ग्रे एरिया

  • क्या है सच्चाई?: क्रिप्टो डेरिवेटिव्स के टैक्सेशन पर अभी तक सरकार ने 100% स्पष्टता प्रदान नहीं की है। यह एक ग्रे एरिया है, और अलग-अलग CA अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाते हैं।
  • सुझाव: सबसे सुरक्षित तरीका यह है कि आप कंजर्वेटिव दृष्टिकोण अपनाएं और 31.2% टैक्स मानकर चलें। लेकिन एक योग्य CA से सलाह जरूर लें, जो आपकी विशिष्ट स्थिति के आधार पर सही मार्गदर्शन दे सके।

5. टैक्स बचाने के टिप्स

क्रिप्टो टैक्सेशन के नियम सख्त हैं, लेकिन कुछ कानूनी तरीकों से आप अपनी टैक्स देनदारी को कम कर सकते हैं:

  1. डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पर ध्यान दें:
  • यदि आप बिजनेस इनकम थ्योरी को अपनाते हैं, तो डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से आप कम टैक्स स्लैब में आ सकते हैं, खर्चे डिडक्ट कर सकते हैं, और नुकसान को सेट ऑफ कर सकते हैं।
  • डेल्टा एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के लिए आदर्श हैं, क्योंकि वे कम पूंजी में ज्यादा एक्सपोजर प्रदान करते हैं।
  1. सही प्लेटफॉर्म चुनें:
  • FIU-रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म जैसे डेल्टा एक्सचेंज का उपयोग करें। ये प्लेटफॉर्म AML और KYC नियमों का पालन करते हैं, जिससे आपकी ट्रेडिंग पारदर्शी और सुरक्षित रहती है।
  • डेल्टा एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म ट्रेडिंग स्टेटमेंट और PNL रिपोर्ट डाउनलोड करने की सुविधा देते हैं, जो ITR फाइलिंग में मदद करते हैं।
  1. सटीक रिकॉर्ड रखें:
  • अपने सभी ट्रेड्स का विस्तृत रिकॉर्ड रखें, जिसमें खरीद और बिक्री की तारीख, कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन, और कंसीडरेशन शामिल हो।
  • बैंक स्टेटमेंट्स, आधार, पैन, और फॉर्म 26AS (TDS डिटेल्स) को तैयार रखें।
  1. CA की सलाह लें:
  • एक योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें, जो क्रिप्टो टैक्सेशन में विशेषज्ञ हो। वे आपकी आय को सही तरीके से डिक्लेयर करने में मदद करेंगे और टैक्स नोटिस से बचाएंगे।
  1. पारदर्शिता बनाए रखें:
  • अपनी क्रिप्टो आय को ITR में पारदर्शी रूप से दिखाएं। अनडिस्क्लोज्ड इनकम पर 60% टैक्स और पेनल्टी का जोखिम न लें।

6. ITR फाइलिंग की प्रक्रिया

क्रिप्टो आय को ITR में दिखाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझा जा सकता है। फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए ITR फाइलिंग की डेडलाइन 15 सितंबर 2025 है। आइए, प्रक्रिया को समझते हैं:

स्टेप 1: जरूरी दस्तावेज तैयार करें

  • ट्रेड लॉग्स: हर ट्रेड का विस्तृत रिकॉर्ड, जिसमें खरीद और बिक्री की तारीख, कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन, और कंसीडरेशन शामिल हो।
  • बैंक स्टेटमेंट्स: क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस से जुड़े सभी बैंक खातों के स्टेटमेंट्स।
  • आधार और पैन कार्ड: पहचान के लिए।
  • फॉर्म 26AS: इसमें आपका TDS डिटेल्स होगा।
  • PNL रिपोर्ट: डेल्टा एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म से डाउनलोड करें।

स्टेप 2: सही ITR फॉर्म चुनें

  • ITR-3: यदि आप एक्टिव ट्रेडर हैं और अपनी क्रिप्टो आय को बिजनेस इनकम के रूप में दिखा रहे हैं। इसमें P&L अकाउंट और बैलेंस शीट भी जमा करनी होगी।
  • ITR-2: यदि आप कभी-कभार निवेश करते हैं और क्रिप्टो आय को कैपिटल गेन्स के रूप में दिखा रहे हैं।
  • सुझाव: एक्टिव ट्रेडर्स के लिए ITR-3 सबसे उपयुक्त है।

स्टेप 3: स्‍केम वीडीए में डिटेल्स भरें

  • इनकम टैक्स पोर्टल पर लॉगिन करें और ITR-3 (या ITR-2) चुनें।
  • स्‍केम वीडीए सेक्शन में जाएं और हर VDA ट्रांजैक्शन की जानकारी भरें:
  • डेट ऑफ एक्विजिशन: क्रिप्टो खरीदने की तारीख।
  • डेट ऑफ ट्रांसफर: क्रिप्टो बेचने की तारीख।
  • कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन: खरीद मूल्य।
  • कंसीडरेशन: बिक्री मूल्य।
  • सिस्टम स्वचालित रूप से मुनाफा या नुकसान की गणना करेगा।
  • यदि आप बिजनेस इनकम के तहत डिक्लेयर कर रहे हैं, तो P&L सेक्शन में खर्चे (जैसे इंटरनेट, फीस) डिक्लेयर करें।

स्टेप 4: रिव्यू और ई-वेरिफाई करें

  • सभी डिटेल्स की अच्छी तरह जांच करें।
  • आधार OTP या अन्य तरीकों से ITR को ई-वेरिफाई करें।
  • सुझाव: एक CA की मदद लें ताकि कोई गलती न हो।

7. सुरक्षित ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म: डेल्टा एक्सचेंज

क्रिप्टो डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के लिए डेल्टा एक्सचेंज भारत में सबसे विश्वसनीय और लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है। यहाँ इसके कुछ प्रमुख लाभ हैं:

  • FIU-रजिस्टर्ड: डेल्टा एक्सचेंज फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ऑफ इंडिया (FIU-IND) के साथ रजिस्टर्ड है, जो इसे AML और KYC नियमों का पालन करने वाला एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म बनाता है।
  • ट्रेडिंग स्टेटमेंट्स: यह पूरे साल की ट्रेडिंग स्टेटमेंट और PNL रिपोर्ट डाउनलोड करने की सुविधा देता है, जो ITR फाइलिंग में मदद करता है।
  • लेवरेज ट्रेडिंग: आप कम पूंजी (यहां तक कि ₹100) से बड़े एसेट्स की प्राइस मूवमेंट्स पर ट्रेड कर सकते हैं।
  • उपयोग में आसानी: इसका इंटरफेस उपयोगकर्ता-अनुकूल है, जो नौसिखियों और अनुभवी ट्रेडर्स दोनों के लिए उपयुक्त है।

सुझाव: डेल्टा एक्सचेंज पर अकाउंट खोलने के लिए डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक का उपयोग करें। अकाउंट खोलने के बाद मेल करें, और आपको एक विशेष ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी तक मुफ्त पहुंच मिल सकती है।

8. सामान्य गलतियां और उनसे बचने के उपाय

  1. आय को छुपाना:
  • गलती: बहुत से ट्रेडर्स अपनी क्रिप्टो आय को ITR में नहीं दिखाते, जिसके परिणामस्वरूप टैक्स नोटिस और 60% टैक्स + पेनल्टी का सामना करना पड़ता है।
  • उपाय: सभी ट्रांजैक्शंस को पारदर्शी रूप से दिखाएं।
  1. गलत ITR फॉर्म चुनना:
  • गलती: एक्टिव ट्रेडर्स ITR-2 चुन लेते हैं, जबकि उन्हें ITR-3 चुनना चाहिए।
  • उपाय: अपनी ट्रेडिंग गतिविधि के आधार पर सही फॉर्म चुनें। CA से सलाह लें।
  1. रिकॉर्ड्स का अभाव:
  • गलती: ट्रेडिंग रिकॉर्ड्स या बैंक स्टेटमेंट्स का अभाव होने पर ITR फाइलिंग मुश्किल हो जाती है।
  • उपाय: हर ट्रेड का रिकॉर्ड रखें और डेल्टा एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म से PNL रिपोर्ट डाउनलोड करें।
  1. CA की सलाह न लेना:
  • गलती: कई ट्रेडर्स खुद से ITR फाइल करते हैं और गलतियां करते हैं।
  • उपाय: एक योग्य CA से सलाह लें, जो क्रिप्टो टैक्सेशन में विशेषज्ञ हो।

निष्कर्ष

Crypto Taxation एक जटिल लेकिन समझने योग्य विषय है। भारत में 2025 के लिए VDA टैक्सेशन के नियम सख्त हैं, लेकिन सही जानकारी और रणनीति के साथ आप अपनी टैक्स देनदारी को मैनेज कर सकते हैं। डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग, जैसे कि डेल्टा एक्सचेंज पर, आपको टैक्स बचाने और अधिक मुनाफा कमाने का मौका दे सकती है। हालांकि, ग्रे एरिया के कारण एक योग्य CA की सलाह लेना अनिवार्य है।

अंतिम सुझाव:

  • हमेशा पारदर्शी रहें और अपनी क्रिप्टो आय को ITR में सही तरीके से दिखाएं।
  • डेल्टा एक्सचेंज जैसे FIU-रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।
  • सटीक रिकॉर्ड्स रखें और समय पर ITR फाइल करें।
  • डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक से डेल्टा एक्सचेंज पर अकाउंट खोलें और विशेष ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी तक पहुंच प्राप्त करें।

क्रिप्टो की दुनिया में सीखते रहें, बढ़ते रहें, और स्मार्ट तरीके से ट्रेडिंग करें! यदि आपके कोई प्रश्न हैं या अगला ब्लॉग किस विषय पर चाहिए, तो कमेंट करें।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। Crypto Taxation से संबंधित जानकारी सामान्य दिशानिर्देशों पर आधारित है और यह कानूनी या वित्तीय सलाह नहीं है। टैक्स नियम जटिल और व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर हो सकते हैं। कृपया अपनी विशिष्ट स्थिति के लिए किसी योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) या टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी टैक्स-संबंधी निर्णयों के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

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