Cryptocurrency की दुनिया में कदम रखते ही सबसे पहला सवाल जो हर नए निवेशक के दिमाग में आता है, वह है अपनी डिजिटल संपत्ति को सुरक्षित कैसे रखा जाए। जब आप अपनी क्रिप्टो यात्रा शुरू करते हैं, तो आमतौर पर आपकी Cryptocurrency किसी न किसी एक्सचेंज पर रहती है। लेकिन हाल के वर्षों में, खासकर 2024 में, एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। CCN की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 47% से अधिक यूजर्स ने अपने फंड्स को एक्सचेंज से निकालकर सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स ( Cold Wallet) में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। आखिर इस बदलाव की वजह क्या है? जवाब है: सुरक्षा। पिछले कुछ सालों में कई बड़े एक्सचेंजेस हैकिंग का शिकार हुए हैं, जिसके चलते यूजर्स का भरोसा डगमगाया है। उदाहरण के लिए, 2025 में बायबेट से 1.4 बिलियन डॉलर और भारत के दो बड़े एक्सचेंज, WazirX (2000 करोड़ रुपये) और CoinDCX (365 करोड़ रुपये) के फंड्स हैकिंग का शिकार हुए। सौभाग्य से CoinDCX का मामला एक ऑपरेशनल वॉलेट से जुड़ा था, जिसके चलते यूजर्स के फंड्स सुरक्षित रहे। लेकिन सवाल यह है कि क्या आप इस तरह का जोखिम उठाना चाहेंगे? शायद नहीं।

इसीलिए, इस आर्टिकल में हम गहराई से समझेंगे कि Cryptocurrency एक्सचेंज कैसे काम करते हैं, उनके साथ जुड़े जोखिम क्या हैं, और आप अपने फंड्स को सुरक्षित रखने के लिए हॉट और कोल्ड वॉलेट्स का उपयोग कैसे कर सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि क्यों सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स, खासकर कोल्ड वॉलेट्स, आपके क्रिप्टो को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का सबसे बेहतर तरीका हैं।
Cryptocurrency एक्सचेंज: ये कैसे काम करते हैं?
जब आप Cryptocurrency में निवेश शुरू करते हैं, तो आप आमतौर पर किसी एक्सचेंज का उपयोग करते हैं, जैसे भारत में वजीरएक्स, कॉइनस्विच कुबेर, या ग्लोबल स्तर पर बायनेंस और कॉइनबेस। ये एक्सचेंज आपके लिए क्रिप्टो खरीदने, बेचने और स्टोर करने का एक आसान तरीका प्रदान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप इन एक्सचेंज पर अपनी क्रिप्टो रखते हैं, तो आप वास्तव में उस क्रिप्टो के मालिक नहीं होते? आइए इसे समझते हैं।
डिपॉजिट और पब्लिक एड्रेस
जब आप किसी एक्सचेंज पर क्रिप्टो डिपॉजिट करते हैं, तो आपके पास दो विकल्प होते हैं:
- फिएट डिपॉजिट: आप अपने बैंक खाते से रुपये (INR) जमा करते हैं और उससे क्रिप्टो खरीदते हैं। इस प्रक्रिया में एक्सचेंज एक छोटी सी फीस चार्ज करता है।
- क्रिप्टो डिपॉजिट: आप किसी अन्य वॉलेट या एक्सचेंज से क्रिप्टो ट्रांसफर करते हैं। इसके लिए आपको एक पब्लिक एड्रेस दिया जाता है, जो एक यूनिक कोड होता है। आप इस एड्रेस को किसी के साथ शेयर कर सकते हैं ताकि वे आपको क्रिप्टो भेज सकें।
लेकिन यहाँ एक पेंच है। यह पब्लिक एड्रेस भले ही आपके नाम पर हो, लेकिन इसका असली मालिक एक्सचेंज होता है। इसका मतलब है कि आपने उस एड्रेस को किराए पर लिया है। आप जो क्रिप्टो उस एड्रेस पर भेजते हैं, वह आपके एक्सचेंज डैशबोर्ड पर एक नंबर के रूप में दिखाई देता है। लेकिन वास्तव में, वह क्रिप्टो एक्सचेंज के प्राइवेट वॉलेट में स्टोर होता है, जिसकी प्राइवेट की केवल एक्सचेंज के पास होती है।
प्राइवेट की और ब्लॉकचेन की भूमिका
ब्लॉकचेन की दुनिया में, क्रिप्टो का असली मालिक वही होता है जिसके पास उसकी प्राइवेट की होती है। यह प्राइवेट की एक तरह का डिजिटल पासवर्ड है, जो 12 या 24 शब्दों का एक कॉम्बिनेशन होता है। ये शब्द BIP-39 वर्ड लिस्ट से लिए जाते हैं, जिसमें 2048 यूनिक शब्द होते हैं। इन शब्दों के पहले चार अक्षर हमेशा अलग-अलग होते हैं, जिससे इन्हें याद करना और सुरक्षित रखना आसान हो जाता है।
जब आप एक्सचेंज पर Cryptocurrency रखते हैं, तो उसकी प्राइवेट की आपके पास नहीं होती। इसका मतलब है कि आपका क्रिप्टो पूरी तरह से एक्सचेंज की मर्जी पर निर्भर है। अगर एक्सचेंज हैक हो जाता है, बैंकरप्ट हो जाता है, या आपके फंड्स को ब्लॉक कर देता है, तो आप कुछ नहीं कर सकते। यही वजह है कि हाल के वर्षों में यूजर्स सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स की ओर बढ़ रहे हैं।
एक्सचेंज के जोखिम: क्यों हैकिंग एक बड़ी समस्या है?
पिछले कुछ सालों में कई बड़े एक्सचेंज हैकिंग का शिकार हुए हैं। 2024 में भारत के वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स जैसे एक्सचेंज से करोड़ों रुपये के फंड्स चोरी हुए। ग्लोबल स्तर पर बायबेट जैसे बड़े एक्सचेंज भी इस खतरे से नहीं बच पाए। आखिर क्यों एक्सचेंज इतनी आसानी से हैक हो जाते हैं? इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:
- Hot Wallet का उपयोग: एक्सचेंज अपने अधिकांश फंड्स को Hot Wallet में रखते हैं, जो इंटरनेट से कनेक्टेड होते हैं। ये वॉलेट्स ट्रांजैक्शंस को तेजी से प्रोसेस करने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इंटरनेट से जुड़े होने की वजह से ये हैकिंग के लिए आसान टारगेट होते हैं।
- सेंट्रलाइज्ड सिस्टम: एक्सचेंज एक सेंट्रलाइज्ड प्लेटफॉर्म होते हैं, यानी उनकी सिक्योरिटी एक केंद्रीय सिस्टम पर निर्भर करती है। अगर यह सिस्टम कमजोर पड़ता है, तो हैकर्स आसानी से सारी क्रिप्टो चुरा सकते हैं।
- प्राइवेट की का कंट्रोल: जैसा कि हमने पहले बताया, आपके फंड्स की प्राइवेट की एक्सचेंज के पास होती है। अगर हैकर्स को यह की मिल जाए, तो आपके फंड्स उनके हो जाते हैं।
इन जोखिमों की वजह से यूजर्स अब अपने फंड्स को एक्सचेंज पर रखने के बजाय सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स, खासकर कोल्ड वॉलेट्स, का उपयोग कर रहे हैं।
सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स: आपका क्रिप्टो, आपकी जिम्मेदारी
सेल्फ-कस्टडी वॉलेट वह वॉलेट होता है, जिसमें आपकी क्रिप्टो की प्राइवेट की आपके पास होती है। इसका मतलब है कि आप अपने क्रिप्टो के असली मालिक हैं। कोई एक्सचेंज या तीसरा पक्ष आपके फंड्स को ब्लॉक या फ्रीज नहीं कर सकता। सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स दो प्रकार के होते हैं: Hot Wallet और कोल्ड वॉलेट्स। आइए इन दोनों को विस्तार से समझते हैं।
Hot Wallet : सुविधा के साथ जोखिम
Hot Wallet वे वॉलेट्स हैं जो इंटरनेट से कनेक्टेड रहते हैं। ये आपके क्रिप्टो को स्टोर करने और ट्रांजैक्शंस करने का एक सुविधाजनक तरीका हैं। कुछ पॉपुलर हॉट वॉलेट्स हैं:
- ट्रस्ट वॉलेट: 100 से ज्यादा ब्लॉकचेन को सपोर्ट करता है और यूजर-फ्रेंडली है।
- मेटामास्क: मुख्य रूप से इथेरियम-बेस्ड टोकन्स के लिए इस्तेमाल होता है।
- फैंटम: सोलाना ब्लॉकचेन के लिए जाना जाता है और इसका इंटरफेस बहुत साफ-सुथरा है।
Hot Wallet कैसे काम करते हैं?
जब आप एक Hot Wallet सेटअप करते हैं, तो आपको 12 या 24 शब्दों का एक सीड फ्रेज मिलता है। यह सीड फ्रेज आपकी प्राइवेट की है, जिसे आपको सुरक्षित रखना होता है। यह सीड फ्रेज आपके वॉलेट को ब्लॉकचेन से जोड़ता है, जहां आपका क्रिप्टो स्टोर होता है। आप इस वॉलेट के जरिए क्रिप्टो भेज सकते हैं, प्राप्त कर सकते हैं, या ट्रेडिंग के लिए एक्सचेंज पर भेज सकते हैं।
Hot Wallet के जोखिम
Hot Wallet इंटरनेट से कनेक्टेड होने की वजह से हैकिंग का खतरा रहता है। अगर आपका डिवाइस (मोबाइल या कंप्यूटर) हैक हो जाता है, तो हैकर्स आपके सीड फ्रेज तक पहुंच सकते हैं। इसलिए, हॉट वॉलेट्स का उपयोग केवल छोटी मात्रा में क्रिप्टो स्टोर करने के लिए करना चाहिए, जिसे आप नियमित ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं।
Cold Wallet : अधिकतम सुरक्षा
कोल्ड वॉलेट्स वे वॉलेट्स हैं जो इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं होते। ये आपके क्रिप्टो को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का सबसे बेहतर तरीका हैं। कोल्ड वॉलेट्स दो मुख्य प्रकार के होते हैं:
- हार्डवेयर वॉलेट्स: जैसे लेजर (Ledger) और टेंजम (Tangem)।
- पेपर वॉलेट्स: जहां आप अपने सीड फ्रेज को कागज पर लिखकर सुरक्षित रखते हैं।
Cold Wallet के फायदे
- ऑफलाइन स्टोरेज: आपकी प्राइवेट की इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं होती, जिससे हैकिंग का खतरा लगभग शून्य हो जाता है।
- लॉन्ग-टर्म सिक्योरिटी: कोल्ड वॉलेट्स आपके क्रिप्टो को 25-30 साल तक सुरक्षित रख सकते हैं।
- पूर्ण कंट्रोल: आपकी प्राइवेट की आपके पास होती है, जिससे आप अपने क्रिप्टो के असली मालिक होते हैं।
Hot Wallet बनाम कोल्ड वॉलेट्स: क्या चुनें?
हॉट और कोल्ड वॉलेट्स के बीच का चुनाव आपकी जरूरतों पर निर्भर करता है। अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग करते हैं, तो हॉट वॉलेट्स आपके लिए सुविधाजनक हैं। लेकिन अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो कोल्ड वॉलेट्स सबसे सुरक्षित विकल्प हैं।
Hot Wallet के लिए सुझाव
- ट्रस्ट वॉलेट: यह 100 से ज्यादा ब्लॉकचेन को सपोर्ट करता है और इसका मोबाइल ऐप बहुत यूजर-फ्रेंडली है। आप इसे क्रोम एक्सटेंशन या मोबाइल ऐप के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मेटामास्क: अगर आप केवल इथेरियम-बेस्ड टोकन्स में निवेश करते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प है।
- फैंटम: सोलाना ब्लॉकचेन के लिए बेहतरीन, इसका इंटरफेस साफ और आसान है।
सेटअप और सुरक्षा
हॉट वॉलेट सेटअप करते समय आपको एक सीड फ्रेज मिलेगा। इसे किसी सुरक्षित जगह, जैसे घर के लॉकर या बैंक में, स्टोर करें। सुनिश्चित करें कि यह सीड फ्रेज किसी और के हाथ न लगे। अगर आपका डिवाइस हैक हो जाता है, तो यह सीड फ्रेज आपके क्रिप्टो को रिकवर करने में मदद करेगा।
Cold Wallet के लिए सुझाव
मार्केट में कई Cold Wallet उपलब्ध हैं, लेकिन दो सबसे पॉपुलर हैं: लेजर और टेंजम। आइए इन दोनों की तुलना करते हैं और समझते हैं कि टेंजम क्यों एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
लेजर (Ledger)
लेजर एक हार्डवेयर वॉलेट है, जो एक पेनड्राइव जैसे डिवाइस के रूप में आता है। इसके कुछ पॉपुलर मॉडल हैं:
- लेजर नैनो S+
- लेजर स्टैक्स
- लेजर फ्लेक्स
लेजर कैसे काम करता है?
लेजर सेटअप करते समय आपको 12 या 24 शब्दों का सीड फ्रेज मिलता है, जिसे आप सुरक्षित रखते हैं। यह डिवाइस आपके क्रिप्टो की प्राइवेट की को स्टोर करता है। जब आपको ट्रांजैक्शन करना होता है, तो आपको इस डिवाइस को USB केबल के जरिए कंप्यूटर से कनेक्ट करना पड़ता है और बटन्स के जरिए ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करना होता है।
लेजर के नुकसान
- कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस: बिगिनर्स के लिए लेजर का उपयोग थोड़ा जटिल हो सकता है, क्योंकि इसके लिए USB कनेक्शन और बटन्स का इस्तेमाल करना पड़ता है।
- बैटरी और सॉफ्टवेयर अपडेट: लेजर के कुछ मॉडल्स में बैटरी होती है, जिसे समय-समय पर चार्ज करना पड़ता है। साथ ही, इसके सॉफ्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट करना जरूरी है, वरना यह काम करना बंद कर सकता है।
- रिप्लेसमेंट की जरूरत: लेजर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसके डिवाइस की लाइफ 3-5 साल होती है। इसके बाद आपको इसे रिप्लेस करना पड़ सकता है।
- सस्पिशियस डिवाइस: अगर आप लेजर डिवाइस को इंटरनेशनल ट्रैवल के दौरान ले जाते हैं, तो यह सिक्योरिटी चेक में सस्पिशियस लग सकता है।
टेंजम (Tangem)
टेंजम एक कार्ड-बेस्ड कोल्ड वॉलेट है, जो तीन कार्ड्स के सेट में आता है। यह लेजर की तुलना में ज्यादा यूजर-फ्रेंडली और फ्लेक्सिबल है। आइए इसके फायदों को विस्तार से देखते हैं।
टेंजम के फायदे
- आसान और मोबाइल-फ्रेंडली: टेंजम का उपयोग बहुत आसान है। आपको बस इसके मोबाइल ऐप को डाउनलोड करना है और कार्ड को NFC के जरिए टच करना है। यह प्रक्रिया इतनी आसान है कि बिगिनर्स और नॉन-टेक लोग भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
- बैकअप कार्ड्स: टेंजम तीन कार्ड्स के सेट में आता है। अगर एक कार्ड खो जाता है, तो आपके पास दो बैकअप कार्ड्स होते हैं। साथ ही, आप सीड फ्रेज को अलग से स्टोर कर सकते हैं।
- नो बैटरी, नो फर्मवेयर: टेंजम में कोई बैटरी नहीं होती, इसलिए आपको चार्जिंग या बैटरी खराब होने की चिंता नहीं करनी पड़ती। साथ ही, इसमें कोई सॉफ्टवेयर अपडेट की जरूरत नहीं होती, क्योंकि यह एक साधारण चिप पर आधारित है।
- कम कीमत: टेंजम की कीमत लेजर की तुलना में कम है। अगर आप प्रोमो कोड MRVYAS का उपयोग करते हैं, तो आपको 10% डिस्काउंट भी मिल सकता है, जिससे इसकी कीमत और कम हो जाती है।
- लंबी वारंटी: टेंजम 25 साल की वारंटी देता है, जो इसे लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए आदर्श बनाता है।
- सुरक्षा: टेंजम पूरी तरह से ऑफलाइन है, जिससे हैकिंग का खतरा लगभग शून्य है। अभी तक इसके कोई हैकिंग के मामले सामने नहीं आए हैं।
टेंजम कैसे काम करता है?
टेंजम सेटअप करते समय आपको 12 या 24 शब्दों का सीड फ्रेज मिलता है, जिसे आप सुरक्षित रखते हैं। इसके कार्ड्स में आपकी प्राइवेट की स्टोर होती है। जब आपको ट्रांजैक्शन करना होता है, तो आप कार्ड को अपने फोन के NFC से टच करते हैं, और आपका ट्रांजैक्शन वेरिफाई हो जाता है। यह प्रक्रिया इतनी आसान है कि इसे कोई भी बिना टेक्निकल नॉलेज के कर सकता है।
टेंजम क्यों चुनें?
- यूजर-फ्रेंडली: इसका मोबाइल ऐप और NFC कार्ड्स इसे बहुत आसान बनाते हैं।
- बैकअप ऑप्शन्स: तीन कार्ड्स और सीड फ्रेज के साथ आपके पास कई बैकअप ऑप्शन्स होते हैं।
- कम लागत: लेजर की तुलना में सस्ता और कोई अतिरिक्त अपग्रेड की जरूरत नहीं।
- लॉन्ग-टर्म सिक्योरिटी: 25 साल की वारंटी और ऑफलाइन स्टोरेज इसे लंबे समय के लिए सुरक्षित बनाते हैं।
अपने क्रिप्टो को सुरक्षित रखने के टिप्स
- कम फंड्स एक्सचेंज पर रखें: केवल उतना ही क्रिप्टो एक्सचेंज पर रखें, जितना आपको ट्रेडिंग के लिए जरूरी हो।
- सीड फ्रेज को सुरक्षित रखें: अपने सीड फ्रेज को कागज पर लिखकर किसी सुरक्षित जगह, जैसे लॉकर में, रखें। इसे कभी भी डिजिटल डिवाइस पर स्टोर न करें।
- कोल्ड वॉलेट का उपयोग करें: लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए टेंजम जैसे कोल्ड वॉलेट्स का उपयोग करें।
- सिक्योरिटी प्रैक्टिसेज: अपने डिवाइस को अपडेट रखें, मजबूत पासवर्ड्स का उपयोग करें, और 2FA (टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन) इनेबल करें।
- शिक्षा पर ध्यान दें: ब्लॉकशाला जैसे प्लेटफॉर्म्स से क्रिप्टो और ब्लॉकचेन की बुनियादी और उन्नत जानकारी हासिल करें।
निष्कर्ष
क्रिप्टो करेंसी की दुनिया रोमांचक है, लेकिन इसके साथ जोखिम भी जुड़े हैं। एक्सचेंज पर फंड्स रखना सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन यह जोखिम भरा है। हैकिंग और बैंकरप्सी जैसे खतरे आपके फंड्स को असुरक्षित बना सकते हैं। इसलिए, सेल्फ-कस्टडी वॉलेट्स, खासकर कोल्ड वॉलेट्स जैसे टेंजम, आपके क्रिप्टो को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का सबसे बेहतर तरीका हैं। टेंजम की आसान प्रक्रिया, कम कीमत, और ऑफलाइन सिक्योरिटी इसे बिगिनर्स और अनुभवी निवेशकों दोनों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।
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